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    Question

    उपर्युक्त गद्यांश के

    अनुसार मनुष्य को किस चक्र में फँसे बिना निरंतर कर्तव्यरत रहना है। निर्देश- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उन पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही उत्तर-विकल्प चुनकर लिखिए। मनुष्य को निष्काम भाव से सफलता असफलता की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करना है। आशा या निराशा के चक्र में फँसे बिना उसे निरंतर कर्तव्यरत रहना है। किसी भी कर्तव्य की पूर्णता पर सफलता अथवा असफलता प्राप्त होती है। असफल व्यक्ति निराश हो जाता है, किंतु मनीषियों ने असफलता को भी सफलता की कुंजी कहा है। असफल व्यक्ति अनुभव की संपत्ति अर्जित करता है, जो उसके भावी जीवन का निर्माण करती है। जीवन में अनेक बार ऐसा होता है कि हम जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए परिश्रम करते हैं, वह पूरा नहीं होता। ऐसे अवसर पर सारा परिश्रम व्यर्थ हो गया-सा लगता है और हम निराश होकर चुपचाप बैठ जाते हैं। उद्देश्य की पूर्ति के लिए दोबारा प्रयत्न नहीं करते। ऐसे व्यक्ति का जीवन धीरे-धीरे बोझ बन जाता है। निराशा का अंधकार न केवल उसकी कर्म-शक्ति, वरन् उसके समस्त जीवन को ही ढक लेता है। निराशा की गहनता के कारण लोग कभी-कभी आत्महत्या तक कर बैठते हैं। मनुष्य का जीवन धारण करके कर्म-पथ से कभी विचलित नहीं होना चाहिए। विघ्न -बाधाओं की, सफलता असफलता की तथा हानि-लाभ की चिंता किए बिना कर्तव्य के मार्ग पर चलते रहने में जो आनंद एवं उत्साह है, उसमें ही जीवन की सार्थकता है, ऐसा जीवन ही सफल है।
    A सफलता असफलता के Correct Answer Incorrect Answer
    B निराशा के Correct Answer Incorrect Answer
    C विघ्न -बाधाओं के Correct Answer Incorrect Answer
    D उद्देश्य की पूर्ति के Correct Answer Incorrect Answer
    E इनमे से कोई नहीं Correct Answer Incorrect Answer

    Solution

    The correct answer is B

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