Question

    निर्देश :निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : समस्याएँ वस्तुतः जीवन का पर्याय हैं। यदि समस्याएँ न हों, तो आदमी प्रायः अपने को निष्क्रिय समझने लगेगा। ये समस्याएँ वस्तुतः जीवन की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। समस्या को सुलझाते समय, उसका समाधान करते समय व्यक्ति का तत्व उभरकर आता है। धर्म, दर्शन, ज्ञान मनोविज्ञान इन्हीं प्रयत्नों की देन हैं। पुराणों में अनेक कथाएँ यह शिक्षा देती हैं कि मनुष्य जीवन की हर स्थिति में जीना सीखे व समस्या उत्पन्न होने पर उसके समाधान के उपाय सोचे। जो व्यक्ति जितना उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य करेगा, उतना ही उसके समक्ष समस्याएँ आएँगी और उनके परिपेक्ष्य में ही उसकी महानता का निर्धारण किया जाएगा। दो महत्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं - प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना लौकिक व पारलौकिक सभी दृष्टियों से अहितकर है, मानव-धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। संसार के सभी धर्मों में एक बात समान है, वह है प्रार्थना, ईश्वर भक्ति। प्रार्थना द्वारा हम अपने हदय के भाव प्रभु के सम्मुख रखते हैं और कुछ न कुछ उस शक्तिमान से माँगते हैं।

    उपर्युक्त गद्यांश के

    अनुसार प्रार्थना द्वारा हम अपने हदय के भाव किसके सम्मुख रखते हैं ?
    A अपने परिवार के सामने Correct Answer Incorrect Answer
    B भगवान के सामने Correct Answer Incorrect Answer
    C मित्रों के सामने Correct Answer Incorrect Answer
    D महापुरुषों के सामने Correct Answer Incorrect Answer
    E भक्तों के सामने Correct Answer Incorrect Answer

    Solution

    The correct answer is B

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