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विज्ञान का जीवन तीन सौ वर्षों से अधिक नहीं है। कम - से - कम प्रायोगिक विज्ञान के सम्बन्ध में यह निश्चय के साथ कहा जा सकता है। परन्तु मनुष्य जाति का सांस्कृतिक जीवन सहस्त्रों वर्ष पुराना है और उसे छोड़ना सम्भव नहीं है। इसीलिए विज्ञान के चमत्कारों की चकाचौंध में हम नहीं पड़ें। उनसे ऊपर उठकर हम प्रेम , सौहार्द्र और मैत्री के स्त्रोत मानवात्मा की ओर मुड़ें मनुष्य की देह नहीं , उसकी आध्यात्मिक और नैतिक चेतना को धारण करने वाली उसकी आत्मा हमारा लक्ष्य हो सर्वोदय का सन्देश यही है।