मुख्य क्रिया के अर्थ को स्पष्ट करने वाली क्रिया होती है
मुख्य क्रिया के अर्थ को स्पष्ट करने वाली क्रिया सहायक क्रिया होती है जैसे- मैं घर जाता हूँ। (यहाँ जाना मुख्य क्रिया है और हूँ सहायक क्रिया है।)
नाम बोधक क्रिया – उपयुक्त क्रिया का निर्माण किसी वाक्य में संज्ञा और सर्वनाम के जुड़ने से होता है। जैसे – लाठी + मारना = लाठी मारना, पीला + पड़ना = पीला पड़ना आदि।
क्रिया का वह रूप जिसमें कर्ता स्वयं भी कार्य में सम्मिलित होता हुआ कार्य करने की प्रेरणा देता है तो क्रिया के उस रूप को प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे: मोहन सबको भजन सुनाता है . इस वाक्य में मोहन द्वारा भजन गाए जाने पर सुनने का कार्य किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा किया गया है.
क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया का निर्माण संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण में प्रत्यय जोड़ने से होता हो उसे नामधातु क्रिया कहते हैं । आमतौर पर क्रियाओं का निर्माण धातु से होता है, लेकिन नामधातु क्रियाओं को संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों में 'ना' प्रत्यय जोड़कर बनाया जाता है।
अपने पड़ोसी के प्रति कर्तव्य-निर्वाह माना जा सकता है-
(1) कभी-कभी तय करना
( य) मानवीय विकास का इतिहास
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