Question

    साहित्यिक अपभ्रंश को

    पुरानी हिंदी किसने कहा था?
    A आचार्य रामचंद्र शुक्ल Correct Answer Incorrect Answer
    B हजारीप्रसाद द्विवेदी Correct Answer Incorrect Answer
    C शिवसिंह सेंगर Correct Answer Incorrect Answer
    D ग्रियर्सन (जॉर्ज अब्राहम) Correct Answer Incorrect Answer

    Solution

    आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने साहित्यिक अपभ्रंश को 'पुरानी हिंदी' की संज्ञा दी। अपभ्रंश वह भाषा है जो प्राचीन और आधुनिक भारतीय भाषाओं के बीच की कड़ी मानी जाती है। इसका प्रभाव भारतीय साहित्य और बोलियों पर व्यापक है। शुक्ल जी ने अपने ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अपभ्रंश के विकास को हिंदी साहित्य के इतिहास में पुरानी हिंदी के रूप में स्थापित किया। Information Booster: 1. अपभ्रंश प्राचीन भारतीय आर्य भाषाओं से विकसित हुआ। 2. यह गद्य और पद्य रचनाओं में उपयोग होता था। 3. 7वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान इसका प्रभाव अधिक रहा। 4. इसे आधुनिक भारतीय भाषाओं की पूर्वज भाषा माना जाता है। 5. रामचंद्र शुक्ल हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित इतिहासकार थे। Additional Knowledge: • आचार्य रामचंद्र शुक्ल: हिंदी साहित्य के इतिहास के लेखक, जिनकी शैली विश्लेषणात्मक और ऐतिहासिक थी। • हजारीप्रसाद द्विवेदी: हिंदी के आलोचक और उपन्यासकार जिन्होंने भाषा और संस्कृति पर गहन अध्ययन किया। • शिवसिंह सेंगर: उनके साहित्यिक योगदान के लिए प्रसिद्ध लेकिन यहां विकल्प सही नहीं है। • ग्रियर्सन (जॉर्ज अब्राहम): भाषावैज्ञानिक जिन्होंने भाषाओं के वर्गीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

    Practice Next

    Relevant for Exams: