हिन्दी दिवस विशेष: भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी

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         निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
      बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को शूल।

प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चंद्र  की यह पंक्तियां निश्चित रूप से यह बोध कराने के लिए पर्याप्त हैं कि अपनी भाषा के माध्यम से हम किसी भी समस्या का समाधान खोज सकते हैं। निज भाषा देश की उन्नति का मूल होता है। निज भाषा को नकारना अपनी संस्कृति को विस्मरण करना है। जिसे अपनी भाषा पर गौरव का बोध नहीं होता, वह निश्चित ही अपनी जड़ों से कट जाता है और जो जड़ों से कट गया उसका अंत हो जाता है। भारत का परिवेश निसंदेह हिंदी से भी जुड़ा है। भारत के अस्तित्व का भान कराने वाले प्रमुख बिंदुओं में हिंदी का भी स्थान है। 

एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल,  सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने,  बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्‍परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्‍यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है।

हिंदी को बहुत से लोग राष्ट्रभाषा के रूप में देखते हैं ।राष्ट्रभाषा से अभिप्राय  है किसी राष्ट्  सर्वमान्य भाषा । क्या हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है ? यद्यपि हिंदी का व्यवहार संपूर्ण भारतवर्ष में होता है,लेकिन हिंदी भाषा को भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा नहीं कहा गया है । चूँकि भारतवर्ष सांस्कृतिक, भौगोलिक और भाषाई दृष्टि से विविधताओं का देश है । इस राष्ट्र में किसी एक भाषा का बहुमत से सर्वमान्य होना निश्चित नहीं है  इसलिए भारतीय संविधान में देश की चुनिंदा भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में रखा है । शुरु में इनकी संख्या 16 थी , जो आज बढ़ कर 22 हो गई हैं । ये सब भाषाएँ भारत की अधिकृत भाषाएँ हैं, जिनमें भारत देश की सरकारों का काम होता है । भारतीय मुद्रा नोट पर 16 भाषाओं में नोट का मूल्य अंकित रहता है और भारत सरकार इन सभी भाषाओं के विकास के लिए संविधान अनुसार प्रतिबद्ध है ।

 हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है।  राजभाषा का शाब्दिक अर्थ  होता है राजकाज की भाषा। अतः वह भाषा जो देश के राजकीय कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है “राजभाषा” कहलाती है। राजभाषा किसी देश या राज्य की मुख्य आधिकारिक भाषा होती है जो समस्त राजकीय तथा प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है। राजाओं और नवाबों के ज़माने में इसे दरबारी भाषा भी कहा जाता था। राजभाषा का एक निश्चित मानक और स्वरुप होता है और इसके साथ कोई प्रयोग नहीं किया जा सकता । राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है। 

 हिंदी के विकास के लिए  राजभाषा विभाग का गठन किया गया है। भारत सरकार का राजभाषा विभाग इस दिशा में प्रयासरत है कि केंद्र सरकार के अधीन कार्यालयों में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में हो। इसी कड़ी में राजभाषा विभाग द्वारा प्रत्‍येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। 14 सितंबर, 1949 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस निर्णय को महत्व देने के लिए और हिन्दी के उपयोग को प्रचलित करने के लिए साल 1953 के उपरांत हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

राजभाषा सप्ताह

राजभाषा सप्ताह या हिंदी सप्ताह हिंदी दिवस से 1 सप्ताह पहले  मनाया जाता है। इसका मूल उद्देश्य हिंदी भाषा के विकास की भावना को लोगों में केवल हिंदी दिवस तक ही सीमित ना करके उसे और अधिक बढ़ाना है। हिंदी सप्ताह के इन 7 दिनों में लोगों को निबंध ,लेखन आदि के द्वारा हिंदी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और ना उपयोग करने पर हानि के बारे में समझाया जाता है।

भारत के सन्दर्भ में हिंदी को मुख्य आधिकारिक भाषा का दर्ज़ा प्राप्त है। दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में अंग्रेजी को स्वीकार किया गया है। हिन्दी के  प्रयोग को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने सन् 1960 में केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की स्थापना की। इससे पूर्व राजभाषा अधिनियम भी पारित किये गये जिनमें केन्द्र और राज्य के सरकारी कामकाज और अंग्रेजी तथा हिन्दी के प्रयोग पर अनेक उपबन्ध लागू किये गये। सन् 1960 के आदेश के अनुसार सरकार मैन्युअलों, फार्मों, विनियमों को हिन्दी में करने का कार्य निदेशालय को सौंपा गया। सन् 1961 में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग बना जिसमें कृषि, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, मानविकी, औद्योगिक आदि विषयों से सम्बन्धित शब्द-कोशों के निर्माण के साथ-साथ विश्व- कोशों के निर्माण का कार्य भी हिन्दी में आरंभ हुआ। सन् 1975 में स्वतन्त्र रूप से राजभाषा विभाग का गठन हुआ, जिसके द्वारा संवैधानिक उपबन्धों को समुचित रूप से क्रियान्वित करने, उन्हें बढ़ावा देने तथा पुनरीक्षण करने एवं समन्वय करने का प्रभावी प्रयास किया जा रहा है। हिन्दी के प्रचार-प्रसार में गैर-सरकारी, समाज-सेवी, स्वयं-सेवी संस्थाएँ भी कार्यरत हैं। 

आज हिंदी को पहले की भांति वैश्विक धरातल प्राप्त हो रहा है। विश्व के कई देशों में हिंदी के प्रति आकर्षण का आत्मीय भाव संचरित हुआ है।विश्व के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में हिंदी के पाठ्यक्रम संचालित किए जाने लगे हैं। इतना ही नहीं आज विश्व के कई देशों में हिंदी के संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं। अमेरिका में एक साप्ताहिक समाचार पत्र उल्लेखनीय ख्याति प्राप्त कर चुका है। हिंदी संचेतना नामक पत्रिका भी विदेश से प्रकाशित होने वाली प्रमुख पत्रिका के तौर पर स्थापित हो चुकी है। ऐसे और भी प्रकाशन हैं, जो वैश्विक स्तर पर हिंदी की समृद्धि का प्रकाश फैला रहे है। भारत के साथ ही सूरीनाम फिजी, त्रिनिदाद, गुआना, मॉरीशस, थाईलैंड व सिंगापुर इन 7 देशों में भी हिंदी वहां की राजभाषा  या सह राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी है। इतना ही नहीं आबूधाबी में भी हिंदी को तीसरी आधिकारिक भाषा की मान्यता मिल चुकी है। आज विश्व के लगभग 44 ऐसे देश हैं, जहां हिंदी बोलने का प्रचलन बढ़ रहा है।  

निष्कर्षतः जहां अंग्रेजी एक विश्वव्यापी भाषा है और इसके महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। वही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हम सब भारतवासियों को अपनी राष्ट्रभाषा का आदर व सम्मान करना चाहिए। हिंदी दिवस हमारी  सांस्कृतिक जड़ों को फिर से देखने और अपनी समृद्धि का जश्न मनाने का दिन है। 

            बने कार्य व्यवहार की, हिन्दी भाषा आज । 

           तब कल इसके शीश पर, होगा गौरव ताज ॥ 

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